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एक ज्वलंत प्रश्न. एक नया विचार. अभिनव राजस्थान का. हमें किस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था चाहिए ?

एक ज्वलंत प्रश्न. एक नया विचार. अभिनव राजस्थान का.
हमें किस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था चाहिए ?
एक सरल, व्यवहारिक जवाब- ऐसी शिक्षा, जो हमारे नागरिकों, हमारे समाज और देश की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके. या कहें कि जो हमें ऐसे नागरिक तैयार करके दे, जो हमारी वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक सिद्ध हों.
अभिनव राजस्थान की अभिनव शिक्षा ऐसी ही होगी. सार्थक शिक्षा. व्यवहारिक शिक्षा.
हमने अपनी नई शिक्षा व्यवस्था की नीति और योजना तैयार कर ली है. और यह व्यवस्था इन आवश्यकताओं के चारों और बुनी गई है. हम केवल वर्तमान व्यवस्था की शिकायत करके ‘ज्ञान’ मारने के लिए यहाँ नहीं हैं. अपने अभियान में हम सबसे पहले हमारी नई व्यवस्था के लिए जनमत जुटाएंगे ताकि उसे लागू करने में आसानी हो.
मित्रों, वर्तमान शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों के ‘राज’ की आवश्यकताओं के अनुरूप रची हुई है. आजादी के बाद हमें हमारे समाज और देश की नई आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा का ढांचा और प्रणाली रचनी थी पर यह काम हमारे राजनेताओं से नहीं हुआ. राजनेता हैं तो यह काम क्यों करेंगे ? लोकनेता होते तो यह जहमत उठाते. अभिनव राजस्थान में लोकनेता और लोकनीति होनी है, तो यह काम भी हो जाएगा.
इसलिए अभिनव राजस्थान में हमने सबसे पहले हमारी वर्तमान आवश्यकताओं को समझा है. हमारा औसत परिवार किस प्रकार का ज्ञान और जानकारी चाहता है ताकि उसका जीवन सरल हो, यह लिखा है, क्रमबद्ध किया है.बड़ी बड़ी, ऊंची ऊंची लच्छेदार बातें और शब्दावली से हमने परहेज किया है.
दसवीं तक हमारी वर्तमान शिक्षा ठीक है. बस उसमें भारतीय परिवेश की , संस्कृति की शिक्षा भारतीय अंदाज में होगी और कृषि तथा वाणिज्य विषय भी प्रमुखता से होंगे. कॉलेज में ज्ञान का सृजन नए ढंग से होगा. कैसे ?
हमारे अधिकतर परिवार खेती करते हैं, पशुपालन करते हैं. हमें उन क्षेत्रों के ज्ञान की ज्यादा जरूरत है. जबकि अभी इस क्षेत्र के ज्ञान का प्रतिशत राजस्थान की कॉलेज शिक्षा में एक प्रतिशत से भी कम है. 70 % विद्यार्थी अभी इतिहास और रानीति शास्त्र पढ़ रहे हैं ! क्या इतने आवश्यकता इस ज्ञान की हमें है ? ऐसे ज्ञान से लबरेज विद्यार्थी अगर बेरोजगार नहीं रहेगा तो क्या होगा ? इसलिए अभिनव शिक्षा में कृषि और पशुपालन का ज्ञान, दसवीं के बाद ज्यादा विद्यार्थियों को दिया जाएगा. फिर हम बिना जमीन वाले कारीगरों, हस्तशिल्पियों के लिए आवश्यक आधुनिक ज्ञान का सृजन करेंगे. हमारी तकनीकी शिक्षा इन आवश्यकताओं को पूरा करेगी. हम वाणिज्य को भी प्रमुखता देंगे. विज्ञान को भी प्रमुखता देंगे. देश का उत्पादन इसी ज्ञान से बढ़ेगा, समाज को यही ज्ञान चाहिए. हमारी कॉलेज शिक्षा को इन आवश्यकताओं के अनुरूप बनायेंगे.
साथ ही कला और खेल की उपेक्षा रोकेंगे. कला का मतलब, इतिहास या राजनीति शास्त्र या हिंदी साहित्य नहीं. इन तीन विषयों का प्रतिशत तो जितना कम हो जाए, उतना ही देश का भला. हमारे लिए कला का मतलब, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला आदि से है. कला और खेल से समाज में आनंद होगा, स्वास्थ्य होगा.
अभिनव राजस्थान का अर्थ ही यही है- समृद्धि, प्रकृति और संस्कृति का संगम. और हमारी अभिनव शिक्षा इसी लक्ष्य पर केंद्रित है.

About Dr.Ashok Choudhary

नाम : डॉ. अशोक चौधरी पता : सी-14, गाँधी नगर, मेडता सिटी , जिला – नागौर (राजस्थान) फोन नम्बर : +91-94141-18995 ईमेल : ashokakeli@gmail.com

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