हमारे लक्ष्य
इसके लिए हम ये आवश्यक परिवर्तन करेंगे
1 भारत के सांस्कृतिक मूल्यों का पुनर्स्थापन।
2 प्रदेश की संस्कृति के रंग में प्रत्येक नागरिक को रंगना।
हमारे उद्देश्य
1 राजस्थान के नागरिकों के जीवन को आनंद से भरना,
क्योंकि संस्कारों के अभाव से जीवन निराशा और चिंता की भेंट चढ़ गया है।
2 आर्थिक विकास को स्थानीय संस्कृति से जोड़ कर सुन्दर बनाना,
संस्कृति की कीमत पर हुआ विकास कुरूप हो चला है।
3 नागरिकों को पहचान के संकट से उबारना,
जिससे उनका एवं प्रदेश का आत्मविश्वास लौट सके।
4 प्रदेश से सांस्कृतिक प्रदूषण को समाप्त करना,
स्वतंत्रता के नाम पर अश्लीलता फैलाने से युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है।
5 समाज में समन्वय स्थापित करना,
इसके लिए हम ये आवश्यक परिवर्तन करेंगे
1 राजस्थान के इतिहास और संस्कृति का प्रामाणिक और रुचिकर प्रस्तुतीकरण करेंगे,
मध्य कालीन गलत व्याख्याओं ने इनका यहाँ के आम नागरिक से नाता तोड़ दिया है।
2 शासन की तरफ से प्रदेश के उत्सवों एवं मेलों के भव्य एवं गरिमामय आयोजन होंगे,
इनमें जन भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रचार माध्यमों का जमकर इस्तेमाल किया जायेगा।
3 राजस्थानी लोक संगीत, नाट्य, चित्रकला, साहित्य, भोजन एवं पहनावे को लोकप्रिय बनाया जायेगा,
जनता में राजस्थान से जुड़ी प्रत्येक चीज के प्रति पनपती हीनभावना को खत्म किया जायेगा।
4 देशी पर्यटन को अधिक महत्व दिया जायेगा,
दस लाख विदेशियों के लिए पाँच करोड़ देशी पर्यटकों की उपेक्षा करना उचित नहीं है।
5 टीवी, रेडियो-एफएम, फिल्मों, सभी सांस्कृतिक मंचों एवं इन्टरनेट पर अश्लील कार्यक्रमों का प्रदर्शन किसी भी
हालत में नहीं होने देंगे
राजस्थान से ही भारत में अश्लीलता की विदाई का शुभारंभ होगा।
हालत में नहीं होने देंगे
राजस्थान से ही भारत में अश्लीलता की विदाई का शुभारंभ होगा।
हमारी रणनीति
1 योजना निर्माण में संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन को विशेष महत्व दिया जायेगा। संस्कृति को आर्थिक विकास के लिए आवश्यक संसाधन मन जायेगा और शासन को इस क्षेत्र के प्रति जिम्मेदार और संवेदनशील बनाया जायेगा। इसके लिए संभाग स्तर पर विस्तृत योजनाएं बनाई जाएंगी।
2 मुख्यमंत्री एवं संस्कृति मंत्री के साथ राजस्थान के लेखकों, पत्रकारों, संगीतकारों तथा सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की विशेष बैठकें होंगी, जिनमें अभिनव संस्कृति के लिए योजना निर्माण पर सार्थक चर्चा होगी।
3 कला एवं साहित्य के क्षेत्र में पारम्परिक रूप से संलग्न रही जातियों के विशाल सम्मेलन आयोजित होंगे, जिनमें अभिनव संस्कृति की विस्तृत योजना इन समुदायों के सामने रखी जायेगी। इन समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने से ही योजनाएं अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल होंगी। इतिहास से जुड़े भाटों, रावों एवं जागों को प्रामाणिक इतिहास लेखन के कार्य से जोड़ा जायेगा। दूसरी ओर कालबेलियों, लंगों, मान्गंयारों, भांडों, नटों, ढोलियों, भोपों, कंजरों आदि कलाकारों के सम्मेलन कर उनसे योजना निर्माण तथा क्रियान्वयन में उनका सहयोग लिया जायेगा. इन समुदायों को उनकी कला के लिए उचित सम्मान अभिनव राजस्थान में दिया जायेगा. उन्हें खैरात न देकर उनकी कला की पूरी कीमत दी जायेगी, जैसी शास्त्रीय कलाओं के लिए दी जाती है.
4 देशी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दो पर्यटन चक्र (सर्किट) बनाये जायेंगे. बाहरी सर्किट गोगामेड़ी से प्रारंभ होकर राजस्थान के विभिन्न धर्मों एवं समुदायों के आस्था स्थलों तथा प्राचीन स्थापत्य कला के केन्द्रों को जोड़ता हुआ पुनः गोगामेड़ी तक आयेगा। अंदर का सर्किट पुष्कर से प्रारंभ होकर यहीं वापस आएगा। इन पर्यटन चक्रों पर ठहरने एवं नहाने की आधुनिकतम सुविधाएँ होंगी और इन स्थानों को जोड़ने वाले मार्गों पर सड़क एवं सुरक्षा की उत्तम व्यवस्थाएँ रहेंगी। हम यह मानते हैं की राजस्थान में आने वाला प्रत्येक देशी पर्यटक भी हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देकर जाता है और सके लिए उसे सुविधाएँ देना कोई अहसान न होकर हमारा कर्त्तव्य बनता है।
5 राजस्थान के शिक्षा केन्द्रों को भी अभिनव संस्कृति के योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन से जोड़ेंगे, ताकि उनकी भी सार्थकता इस क्षेत्र के विकास में सिद्ध हो सके. इतिहास व संस्कृति से विद्यार्थियों तथा विभागों को महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ देकर उन्हें एन जी ओ का रूप दिया जायेगा। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी, जो उन्हें स्वावलंबी बनायेगी।
वर्तमान स्थिति
1 सांस्कृतिक क्षेत्र की पूर्ण रूप से उपेक्षा हो रही है. शासन ने इस विषय को अस्पृश्य मानकर पल्ला झाड़ रखा है। विकास से इस महत्त्वपूर्ण संसाधन को जोड़ कर नहीं देखने की भूल शासन ने अँगरेजियत के कारण कर रखी है।
2 राजस्थानियों में अपनी चीजों के प्रति फैली हीनभावना की यह स्थिति है कि उन्हें हमारे गैर नृत्य की बजाय पंजाब का भांगड़ा और गुजरात का गरबा या फिर अँग्रेजी डिस्को आधुनिक लगता है। यही हाल राजस्थानी पहनावे, खान-पान, भाषा आदि का है।
3 राजस्थान के लोक कलाकारों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चली है, क्योंकि सदियों से जिस कार्य को ये समुदाय करते आये हैं, उसकी उपयोगिता शासन व समाज की निष्क्रियता से कम हो चली है। जमीन नहीं होने से खेती नहीं कर सकते, तो पूँजी के अभाव में ये लोग धंधा नहीं कर सकते। शासन में प्रवेश की संभावनाएं भी कम ही रहती हैं।
4 देशी पर्यटकों तो शासन पर्यटक ही नहीं मानता है. पश्चिमी देशों से आते लोगों की गुलामी की पुरानी आदत के कारण आज भी उनके आगे पीछे घूमने को ही पर्यटन कहा जाता है। रामदेवरा, पुष्कर और अजमेर की दरगाह आदि धार्मिक स्थानों को आने वाले करोड़ों यात्री अभी भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। उनको दी जाने वाली किसी भी सुविधा को शासन की तरफ से दी गयी खैरात माना जाता है, जबकि ये यात्री हमें प्रति वर्ष करोड़ों रुपये विभिन्न तरह से देकर जाते हैं। कोई यात्री यहाँ चाय भी पीता है तो वह हमारी अर्थ व्यवस्था में योगदान करता है।
5 अश्लीलता ने हमारे घर, गाँव और शहर को नरक बना कर रख दिया है. स्वतंत्रता के नाम पर युवाओं को शिक्षा, विकास तथा नैतिकता से दूर धकेला जा रहा है। शासन और समाज की अनदेखी के चलते चंद स्वार्थी लोग नंगा नाच कर रहे हैं और करवा रहे हैं।
प्रशासनिक ढाँचा
सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री
प्रदेश स्तर पर
महानिदेशक (पर्यटन)
महानिदेशक (संस्कृति)
संभाग स्तर पर
अतिरिक्त महानिदेशक (पर्यटन)
अतिरिक्त महानिदेशक (संस्कृति)
जिला स्तर पर
निदेशक ( पर्यटन)
निदेशक (संस्कृति)
यह भी होगा
1 कोई निगम नहीं होगा, कोई अकादमी नहीं होगी. इनकी खानापूर्ति से काम नहीं चलेगा।
2 सभी पदों पर विभागीय अधिकारी होंगे, जिनकी सलाहकार परिषदों में विषयों के जानकार एवं कलाकार होंगे।
3 राजस्थान नवनिर्माण कोष से इस क्षेत्र में उसी प्रकार कार्य होंगे, जैसे विकास के लिए अन्य क्षेत्रों में होंगे।
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