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अभिनव समाज

हमारे लक्ष्य
1. पाँच वर्षों में राजस्थान में पूँजी निर्माण को दस गुना बढ़ाना।
2. सामाजिक जिम्मेदारियों की चिंता कम कर आनंद का माहौल बनाना।
हमारे उद्देश्य
1. राजस्थान में बचत को बढ़ाकर पूँजी निर्माण की गति बढ़ाना,
                                                 सामाजिक परम्पराओं के नाम पर अनावश्यक खर्चों को कम करके।
2. विकास के लिए आवश्यक अभिवृत्ति पैदा करना,
                                                परिवारों की प्राथमिकताओं को सकारात्मक कार्यों के लिए बदलना।
3. विकास की दृष्टि को समाज में स्थापित करना,
                                                विकास में बाधक निराशा और अविश्वास के भावों को कम करना।
4. भ्रष्टाचार की जड़ों को ही काटकर इस नासूर का इलाज करना,
                                               सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए पैसे का महत्व घटा कर।
5. स्त्री-पुरुष अनुपात को फिर से सम्मानजनक स्तर तक पहुँचाना,
                                              लड़कियों की शादियों के खर्च और सुरक्षा की चिंता को कम करके।
इसके लिए हम ये आवश्यक परिवर्तन करेंगे
1. सामाजिक कार्यक्रमों का सरलीकरण करेंगे,
                                            मेहमानों, लेन देन के सामानों व व्यंजनों की संख्या कम करेंगे।
2. मृत्युभोज तथा दहेज की बीमारियों को जड़ से खत्म करेंगे,
                                            इसके लिए प्रेरणा और कानून, दोनों का साथ-साथ प्रयोग करेंगे।
3. सामाजिक मूल्यों में बदलाव करेंगे,
                                             बचत, सादगी व ज्ञान का महत्त्व, खर्च, दिखावे और धन से ज्यादा होगा।
4. सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेंगे,
                                            शारीरिक या प्राकृतिक दुर्घटनाओं से परिवारों को टूटने नहीं देंगे।
5. गैर-सामाजिक विषयों को समाज में नहीं घसीटेंगे,
                                             शासन, राजनीति और शिक्षा में सामाजिक दखल कम करेंगे।
हमारी रणनीति
1. मुख्यमंत्री एवं समाज कल्याण मंत्री के साथ विभिन्न सामाजिक एवं जातीय संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठकें होंगी, जिनमें सामाजिक खर्चे कम करने के निर्णय किये जायेंगे, ताकि राजस्थान के सभी परिवार चैन से रह सकें। विभिन्न जातियों व समुदायों के सम्मेलन भी आयोजित होंगे, जिनमें लोगों से अपनी गाढ़ी कमाई को फिजूल दिखावों एवं कुरीतियों पर बरबाद नहीं करने की अपील की जायेगी। उन्हें इस बचत से पूँजी निर्माण करने और उसे अपने परिवार के रहन सहन और रोजगार के लिए उपयोग में लेने का आह्वान किया जायेगा। प्रदेश भर में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सामाजिक परिवर्तन की वह लहर चलेगी, जिसके सपने महात्मा गाँधी देखा करते थे। विश्वास रखें राजस्थान की जनता तो इस परिवर्तन के लिए छटपटा रही है, परन्तु बिना नेतृत्व के लोग हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। एक अनदेखा समाज का डर उन्हें रोक देता है।
2. सामूहिकता में जीने की भारतीय प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए हम व्यक्तिगत परिवर्तनों की बजाय सामूहिक परिवर्तनों पर अधिक जोर देंगे। प्रत्येक गाँव, कस्बे और जातीय समूह में एक साथ परिवर्तन से ही यह अभियान सफलता प्राप्त करेगा। केवल खुद सुधरो, समाज अपने आप सुधरेगा की नाकारा धारणा और निराशावादी भाषणों से काम नहीं चलेगा। हमें व्यावहारिक रास्ता पकड़ना होगा।
3. सामाजिक परिवर्तनों के लिए हम परिवर्तनकारकों का सदुपयोग करेंगे। प्रदेश के संतों-संन्यासियों, शिक्षकों, खिलाड़ियों, कलाकारों, पत्रकारों, पेंशनधारकों, फ़ौजियों और कर्मचारियों को इस पुनीत कार्य के लिए आगे लायेंगे। लेकिन एक स्पष्ट परिणाम दिखाने वाली कार्ययोजना से यह काम होगा, खानापूर्ति नहीं होगी।
4. सामाजिक तौर पर निर्णय हो जाने के बाद भी 5-10 प्रतिशत लोग नियमों को तोड़ने की भरसक कोशिश करेंगे और जनता में डर और निराशा फैलाएंगे। ऐसे लोगों के समारोहों का बहिष्कार किया जायेगा और जरूरत पड़ने पर कानून की मदद से भी निपटा जायेगा।
5. समाज में अच्छे काम करने वालों का सम्मान किया जायेगा। उनके कार्यों की जोरदार मार्केटिंग की जायेगी। इसके लिए सरकारी प्रचार तंत्र के साथ अन्य माध्यमों का भी सहारा शासन द्वारा लिया जायेगा। ऐसा होने पर उनके साथ-साथ समाज का भी हौसला बढ़ेगा। लोग अच्छे कार्य करने और समाज को अपना योगदान देने को प्रेरित होंगे।
वर्तमान स्थिति
1. राजस्थान के लगभग सभी हिस्सों में सामाजिक परम्पराओं के नाम पर अनावश्यक खर्चों ने महँगाई के इस युग में आम परिवारों की कमर तोड़ रखी है। धनी वर्ग अपनी झूठी शान के लिए दिखावे पर असंयमित खर्च कर नई-नई बुराइयों को समाज में परोस रहा है, जिसे मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवार एक नई सामाजिक परंपरा मानकर अपना लेते हैं। भूमि, ब्याज और मिलावट माफिया इन बुराइयों की आग में झूठे तर्कों से घी डाल रहे हैं। परिणाम यह है कि अधिकांश परिवार तो जैसे इन सामाजिक परम्पराओं को निभाने में ही पूरी उम्र गुज़ार देते हैं। परिजनों के मरने पर या बेटी की शादी में इतना खर्च हो जाता है कि आम परिवार दस वर्षों तक अपने रहन- सहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार-धंधे के स्तर को भूल ही जाता है। बचत के लिए पैसा नहीं बचता है और पूँजी का अभाव हमेशा बना रहता है।
2. परिवारों में पूँजी नहीं बचती है, तो प्रदेश में भी पूँजी नहीं रहेगी। आखिर इन डेढ़ करोड़ परिवारों के जोड़ को ही तो राजस्थान कहते हैं। प्रति वर्ष लगभग 1 लाख करोड़ रुपये इन खर्चों के कारण प्रदेश से बाहर जाते हैं, क्योंकि इन समारोहों में प्रयुक्त अधिकांश सामग्री प्रदेश या देश के बाहर उत्पादित होती है। चाय, शक्कर, मसाले, कपड़े, सोना, चाँदी, कार, मोटर साइकिल आदि जैसी 90 प्रतिशत वस्तुएँ प्रदेश या देश के बाहर से आती हैं।
3. साठ वर्षों की पढ़ाई-लिखाई के बाद भी राजस्थान के 30 ज़िलों में अब भी किसी व्यक्ति के मरने पर लोग मिठाईयाँ खाते फिरते हैं। वे तो किसी जवान की मौत पर भी नहीं चूकते हैं। कैसी सभ्यता में हम पहुँच गए हैं ? यही नहीं वे इसके लिए कई आधारहीन कुतर्क भी देते हैं, जबकि हकीकत यह है कि किसी व्यक्ति के मरने पर बनाये गए भोजन को सभी शास्त्रों में वर्जित बताया गया है।
4. आजकल सामाजिक समारोह पारिवारिक नहीं रह गए हैं, बल्कि सार्वजनिक हो गए हैं। केवल रिश्तेदारों को ही बुलाने की हमारी परम्परा का आजकल विस्तार कर दिया गया है । कुछ पैसे वालों ने अपनी झूठी शान दिखाने के लिए प्रत्येक जान पहचान वाले को बुलाया तो बाकी लोगों ने इसे परम्परा मान लिया और यह बीमारी अब प्रदेश के कोने-कोने में फैल गयी है। हालात  तो यह हैं कि अब भोजन और टेंट पर समारोह का 50 से 60 प्रतिशत खर्च हो रहा है। इस झूठी शान को मेहमानों की आवभगत बता कर महिमा मंडित भी किया जा रहा है।
5. सामाजिक सुरक्षा की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। किसी परिजन की गंभीर बीमारी या अकाल मौत से एक आम परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है। भविष्य अंधकारमय हो जाता है। ऐसे में तथाकथित समाज (गाँव या जाति) तो उस परिवार को सहायता नहीं देता है, शासन भी केवल दिखावा करता है। वास्तविकता तो यह है कि देने वाला और लेने वाला दोनों ही नाटक कर रहे होते हैं। यह सहायता केवल औपचारिकता रहती है। इसका कोई विशेष असर कुल खर्च पर नहीं पड़ता है। इसी प्रकार प्राकृतिक विपदाओं से भी गरीब परिवारों का जब सामना होता है, तब भी शासन की उपस्थिति कहीं नजर नहीं आती है। ऐसे में विपदाओं के मारे परिवार गरीबी का एक स्तर और नीचे उतर जाते हैं।
प्रशासनिक ढाँचा
समाज कल्याण मंत्री
प्रदेश स्तर पर- महानिदेशक(समाज कल्याण)
संभाग स्तर पर- अतिरिक्त महानिदेशक(समाज कल्याण)
जिला स्तर- निदेशक(समाज कल्याण)
विकास खंड स्तर पर- सहायक निदेशक(समाज कल्याण)
यह भी होगा
 
1. सामाजिक परिवर्तनों को बचत से जोड़ने से ही इस अभ्यास का पूरा फायदा जनता को मिलेगा। इसलिए बड़े पैमाने पर बचत का एक आंदोलन समाज सुधार के साथ ही चलाया जायेगा।
2. जिन गांवों और कस्बों में सामाजिक परिवर्तन के निर्णय ले लिए जायेंगे, वहां पर शासन की तरफ से विशेष सुविधाएँ देकर इन सुधारों का मान बढ़ाया जायेगा। शासन को यह मानना होगा कि इन निर्णयों से प्रदेश के लिए पूँजी बचाई गयी है।

3. विधवाओं, विकलांगों, वृद्धों और असहाय बच्चों को सहायता के रूप में पेंशन न देकर, कोई पूर्णकालिक कार्य दिया जायेगा, जिससे उनके जीवन निर्वाह की अर्थपूर्ण स्थिति  बन सके। 500-1000 रुपये की पेंशन तो एक व्यक्ति  का पेट भी नहीं भर पाती है। केवल खैरात बांटने की इस प्रथा की जगह वास्तविक मदद अभिनव राजस्थान में की जायेगी, क्योंकि हमारी नजर में पूरा प्रदेश एक बड़ा परिवार होगा। परिवार के सदस्यों पर दया दिखाने की बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना हमारा उद्देश्य होगा।

About Dr.Ashok Choudhary

नाम : डॉ. अशोक चौधरी पता : सी-14, गाँधी नगर, मेडता सिटी , जिला – नागौर (राजस्थान) फोन नम्बर : +91-94141-18995 ईमेल : ashokakeli@gmail.com

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