Home / बढ़ते कदम / तीस दिसंबर का मेड़ता सम्मेलन – एक वैचारिक क्रांति की शुरुआत

तीस दिसंबर का मेड़ता सम्मेलन – एक वैचारिक क्रांति की शुरुआत

डॉ. अशोक चौधरी

तीस दिसम्बर के रोज राजस्थान के बीचों बीच मीरां की नगरी में एक विशेष सम्मेलन होगा. यह सम्मेलन विशेष ही होगा. कई मायनों में विशेष होगा.इसमें भाग लेने वालों की दृष्टि से, इसमें रखे जाने वाले विषयों की दृष्टि से. मैंने राजस्थान में अभी तक ऐसे किसी सम्मेलन के बारे में नहीं सुना है. पढ़ा जरूर है कि कभी महान् राष्ट्रभक्त विजयसिंह पथिक और केसरी सिंह बारहठ ने ‘राजस्थान सेवा संघ’ बनाकर राजस्थान को एक वैचारिक सूत्र में बांधने की कोशिश की थी. 1919-20 में. लेकिन वे उस समय की कूटनीति के शिकार होकर हाशिए पर चले गए थे और समृद्ध राजस्थान का उनका सपना अधूरा रहा गया था. वह सपना अभी भी अधूरा है. आज भी भारत का सबसे बड़ा प्रदेश

राजस्थान पिछड़े राज्यों में गिना जाता है. इतना पिछड़ा कि बार बार इसे ‘विशेष’ दर्जा दिए जाने की मांग उठती रहती है. विशेष दर्जा, यानि दया की भीख. उस प्रदेश को भीख मांगने को कहा जा रहा है, जो दुनिया के व्यापार को दिशा देता था.

जी हाँ. बहुत कम लोग जानते हैं कि राजस्थान की जिस जमीन पर वे रहते हैं, उस जमीन से ही दुनिया का तीन-चौथाई व्यापार होता था. पाली, बीकानेर और चुरू का राजगढ़, अंतर्राष्ट्रीय मंडियां हुआ करती थीं. लेकिन अंग्रेज जब भारत आये तो व्यापार की दशा और दिशा बदल गई. सारा व्यापार समुद्री रास्ते से होने लगा. हमारे मशहूर घरेलू उद्योग नष्ट हो गए. हमारे पूंजीपति कलकत्ता, मद्रास और बम्बई चले गए. कारीगर भी पलायन करने लगे. अचरज तो यह है कि आज भी यह पलायन जारी है. राजस्थान के इस पलायन को अभी तक की कोई भी सरकार रोक नहीं पाई है. यहां पर रह रहे किसानों और पशुपालकों की भी दशा ठीक नहीं है. व्यापार भी मंदा है. गरीबी और बेरोजगारी ने तीन-चौथाई परिवारों को परेशान कर रखा है. प्रकृति और संस्कृति को जड़ से मिटाया जा रहा है. ऐसे में पलट पलट कर राज सब कर रहे हैं, जैसे पहले के राजा किया करते थे. पर राजस्थान को कोई दिशा, कोई सोच, कोई विजन नहीं दे पा रहे हैं. दें भी कैसे, जब राजस्थान का जनमानस ही सोया है, उदासीन है, भ्रमित है. इसलिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है. खास है. राजस्थान को फिर से समृद्ध करना, पूँजी और हुनर का पलायन रोकना, शासन के अपने होने का अहसास करना, प्रकृति और संस्कृति को बचाना, आदि ऐसे विषय हैं, जिन पर इस सम्मेलन में

’धरतीपुत्र’ विचार करेंगे.

   इस सम्मेलन में राजस्थान के कोने कोने से एक हजार मित्र भाग लेंगे. ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ के ये मित्र राजस्थान के वास्तविक विकास की एक कार्ययोजना को अंतिम रूप देंगे. अपनी रणनीति जनता के सामने रखेंगे. राजस्थान के विकास के लिए क्या और कैसे किया जाना है, इस पर मंथन करेंगे.परन्तु केवल मंथन ही नहीं करेंगे ! एक समयबद्ध रूपरेखा तय करंगे. अपने अपने क्षेत्रों में जाकर क्या करना है, इसे तय करेंगे. एक तरह से यह एक व्यवहारिक क्रांति होगी. व्यवहार में बदलाव की शुरुआत होगी. अहिंसात्मक. एक व्यापक जनजागरण. केवल अखबारों को पढ़ना, चेनलों को देखना और फिर चौपालों पर इन उधार के, प्रायोजित मुद्दों पर बहस करना जनजागरण नहीं होता है. यह जो अभी हो रहा है, वह जनजागरण नहीं है. यह तो केवल समय की बर्बादी है. कुछ काल्पनिक, आधारहीन बातें हमारे दिमाग में ठूंसी जा रही हैं, जिनसे हमारे जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ना है. कुछ फिजूल की बातें हमारे मुंह में रखी जा रही हैं, जो प्रदेश में कोई परिवर्तन नहीं कर पाएंगी. केवल एक पार्टी की सरकार का जाना और दूसरी का आना क्या मायने रखता है, अगर हमारे घर की दशा पर, प्रदेश की दशा पर इसका कोई बड़ा असर न पड़े. इसलिए व्यापक जनजागरण चाहिए. ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ को यही करना है. इतना हो जाए तो लगभग काम पूरा हो जाएगा. दिशा सही हो जाए तो लक्ष्य तक पहुंचना आसान हो जाएगा. अभी तो राजस्थान का लक्ष्य ही तय नहीं है, दिशा तो गलत है ही. ऐसे में ‘अभिनव राजस्थान’ हमारा लक्ष्य है और ‘अभियान’ की योजना हमारी दिशा है.

यह कार्यक्रम भारत के महान् संत, दार्शनिक और विचारक स्वामी विवेकानंद को मुख्य रूप से समर्पित होगा, जिनकी 150 वीं जयंती अगले वर्ष (2013) मनाई जानी है. स्वामीजी जिस प्रकार के भारतीयों और भारत को देखना चाहते थे, वैसे भारतीय और वैसा भारत अंग्रेजों के जाने के बरसों बाद भी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं. फिर भी अनेक व्यक्ति, संस्थाएं और संगठन, अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं. ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ ऐसा ही एक प्रयास साबित हो, हम अपेक्षा रखते हैं. साथ ही यह कार्यक्रम इस प्रदेश और देश के उन महान् शहीदों को भी समर्पित होगा जिन्होंने अपना वर्तमान और भविष्य, हमारे वर्तमान और भविष्य की बेहतरी के लिए न्यौच्छावर कर दिया था. जिन मित्रों को इस सम्मेलन में भाग लेना है, वे पहले मन में निश्चित कर लें. जब मन पक्का हो जाए तो सम्मेलन में आने का निर्णय करें. आधे अधूरे मन से, शंकित मन से, डरे मन से, उदासीन मन से फैसला न करें. आपका निर्णय गंभीरतापूर्वक होना चाहिए. हाँ, इतना मानें की इस अभियान के सदस्यों को चंदा इकठ्ठा नहीं करना है, धरने-प्रदर्शन-भूख हड़ताल-रास्ता जाम नहीं करने होंगे. एक अनूठी कार्यपद्धति के माध्यम से अभियान आगे बढ़ेगा. सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. इस कार्यपद्धति का खुलासा ही इस सम्मलेन में होगा. दीपावली से पहले ही अपना नाम और मोबाइल नम्बर बता दें. 94141-18995 पर. आप ई मेल पर भी सूचित कर सकते हैं –  ashokakeli@gmail.com यह मेल पता है.

About Dr.Ashok Choudhary

नाम : डॉ. अशोक चौधरी पता : सी-14, गाँधी नगर, मेडता सिटी , जिला – नागौर (राजस्थान) फोन नम्बर : +91-94141-18995 ईमेल : ashokakeli@gmail.com

यह भी जांचें

RAS pre में सफल हुए साथियों को बधाई देने का मन ही नहीं हुआ कल. क्यों ?

RAS pre में सफल हुए साथियों को बधाई देने का मन ही नहीं हुआ कल. …

One comment

  1. इसे एक स्वपनिल प्रयास कह रहा हूं, मगर सपने जब हकीकत बन जायें वाह वाह हो जाये। मैंने कल ही अभिनव राजस्थान पढा है और मैं जो एक तरह की घुटन व्यवस्था के प्रति महसूस कर रहा था, उसका समाधान भी कुछ इसी तरह का हो सकता है। मेरा गांव लालगढ चुरू जिले की बीदासर तहसील में और नागीर से 42 कि.मी.उत्तर में है। वृद्धावस्था और घरेलू परिस्थिती ने साथ दिया तो एक दर्शक के रूप में मेङता सम्मेलन में जरूर आऊंगा।
    आप जो प्रयत्न कर रहे हैं उसके लिये शुभ कामनाऐं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *