1. राजस्थान के कृषि,पशुपालन एवं बाग़वानी क्षेत्र के उत्पादन को पाँच वर्षों में दोगुना करना।
2. ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों की आमदनी को पाँच वर्षों में पाँच गुना बढ़ाना।
हमारे उद्देश्य
1. उत्पादन बढ़ाकर राजस्थान के विकास को गति देना ,
क्योंकि उत्पादन बढ़े बिना वास्तविक विकास नहीं हो सकता।
जिससे शिक्षा क्षेत्र में उपलब्ध ज्ञान का उपयोग सुनिश्चित हो सके।
4. गाँवों में पूँजी का निर्माण करना,
जो नए प्रयोगों और उत्तम संसाधनों के लिए काम आ सके।
5. कस्बों का विकास करना,
क्योंकि गाँवों की समृद्धि से ही कस्बों के व्यापार और लघु उद्योग पनपेंगे।
1. सामाजिक रीति – रिवाज़ों में अनावश्यक खर्च को कम करेंगे,
तभी बढ़ी आमदनी ग्रामीण परिवारों के विकास के काम आ सकेगी।
क्योंकि तीन चौथाई लोगों की उपेक्षा देश पर हर तरह से भारी पड़ रही है।
3. विज्ञान और कृषि का सम्बन्ध मजबूत करेंगे,
मिट्टी की जाँच से लेकर उपभोक्ता तक उपज पहुँचने तक कृषि वैज्ञानिक किसान के साथ होंगे।
4. कृषि, पशु पालन और बाग़वानी को जोड़ देंगे,
इससे किसानों की शुद्ध आमदनी बढ़ने के साथ ही कृषि चक्र भी प्रकृति के साथ चलेगा।
5. प्रत्येक खेत, पालतू पशु एवं बाग का बीमा करेंगे,
ताकि किसान को कृषि क्षेत्र की अनिश्चितता से छुटकारा मिल सके.।
6. प्रत्येक संभाग की व्यवहारिक कृषि रणनीति होगी,
जिससे क्षेत्र की प्रकृति के अनुरूप फसलें बोई जाकर स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
तभी किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल पायेगा।
बेर, केर, बाजरा, मक्का, ज्वार और मक्का का आकर्षण स्थानीय जनता में फिर से पैदा करेंगे।
70 प्रतिशत लोगों के जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण ज्ञान को प्राथमिकता से विकसित करेंगे।
सहकारी संस्थाओं की भूमिका को कृषि क्षेत्र में मूल भावना से स्थापित करेंगे।
1. मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री द्वारा कृषि वैज्ञानिकों तथा अधिकारियों से नीति निर्धारण पर व्यापक एवं खुला विचार विमर्श होगा।
5. प्रत्येक जिले में एक कृषि महाविद्यालय होगा, माध्यमिक शिक्षा से ही कृषि विषय का अभी 10 प्रतिशत हिस्सा होगा, कृषि शिक्षा को सीधे खेतों से जोड़ा जायेगा।
7. प्रत्येक गाँव में एक अत्याधुनिक कृषि सेवा केंद्र की सहकारी स्तर पर स्थापना होगी, जो वित्त के साथ उत्तम बीज, खाद और कीटनाशकों की अत्यंत सस्ती दरों पर उधार में व्यवस्था करेगा।
11. राशन की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर ही खरीद कर की जायेगी, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल जाये, परिवहन का खर्च बचे, खाद्य सामग्री सड़े नहीं और उपभोक्ता को गुणवतायुक्त सामग्री मिले।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री -> महानिदेशक ( कृषि) -> अतिरिक्त महानिदेशक -संभाग -> निदेशक -जिला -> अतिरिक्त निदेशक -पंचायत समिति या विकास खंड
-> महानिदेशक ( बाग़वानी) -> अतिरिक्त महानिदेशक – संभाग -> निदेशक – जिला -> अतिरिक्त निदेशक – विकास खंड
-> महानिदेशक (पशुपालन) -> अतिरिक्त महानिदेशक- संभाग -> निदेशक – जिला -> अतिरिक्त निदेशक – विकास खंड